महाविद्यालय बारे में

एक मिडिल पास व्यक्ति, जिसने अपने कर्मों पर विश्वास करते हुए गरीबी के निम्न स्तर से उठकर उच्चतम स्थिति प्राप्त की, स्थिर विचारों के साथ जीवन जीते हुए समय परिवर्तन का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने बच्चों के दृष्टिकोण को करुणामय बनाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि सभी बच्चे नौकरी और व्यवसाय करने लगे। ऊँची सोच और उड़ान भरते हुए समाज के गरीब परिवारों के बच्चों को दिशा कैसे मिले, इस विचार को लेकर उनके मन में बैठी इच्छा जीवित रही, परंतु जीवनकाल में यह सपना साकार नहीं हो सका। ऐसे महान व्यक्ति का नाम था महर्षि स्व. राजपति यादव, जो मूल रूप से ग्राम साधनापुर, पोस्ट सिखौती, जनपद जौनपुर के निवासी थे।

उनके इस अधूरे कार्य को उनके ज्येष्ठ पुत्र डॉ. कृष्ण प्रसाद यादव जी ने साकार करते हुए, दिनांक 6 दिसम्बर सन 2000 को जफराबाद ब्लॉक के समीप ग्राम मखदुमपुर में जमीन खरीदकर अपने हाथों से भूमि पूजन किया और दो वर्षों के अथक प्रयास से “डॉ. शिव प्रसाद राजपति महाविद्यालय” का निर्माण करवाया, जो वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से सम्बद्ध है। इस महाविद्यालय की स्थापना से गाँव और बाज़ार में रहने वाले लोगों के बीच शिक्षा की ज्योति निरंतर फैलने लगी। दूर-दराज़ के बच्चों को शिक्षा पाने के लिए बाहर जाने की समस्या से मुक्ति मिल गई। अंततः यह बालिकाओं के लिए वरदान सिद्ध हुआ।

वर्तमान समय में हज़ारों की संख्या में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर देश-प्रदेश में नौकरी कर रहे हैं। इस सफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है — “शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका”।

वर्तमान में स्नातक स्तर पर (कला संकाय) हिन्दी, संस्कृत, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, प्राचीन इतिहास, भूगोल एवं गृहविज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा प्रदान की जा रही है। शिक्षा हमारे समाज के सुधार का प्रमुख माध्यम है और इसके द्वारा हम अपने बच्चों को बेहतर जीवन के लिए तैयार कर सकते हैं।

महाविद्यालय छवि गैलरी

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